
विगत तीन पोस्ट में मैंने परिचर्चा के माध्यम से कई प्रबुद्ध जनों के विचारों से आप सभी को रूबरू कराया....विषय था हिंदी ब्लॉगिंग और आपकी सोच ?आईये इसी क्रम में कुछ और व्यक्तियों के विचारों से हम आपको रूबरू कराते हैं-

दरअसल निजी और सतही स्तर पर गुदगुदाने वाले प्रसंगों से हटकर हम ब्लागरों को अपने समय की समस्याओं पर केन्द्रित होने की जरूरत है. भ्रष्टाचार, गरीबी, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, सामाजिक रुढियों से उपजी दर्दनाक विसंगतियां और मनुष्यता का अवमूल्यन आज हमारे देश की ज्वलंत समस्याएं हैं. आदमी चर्चा से बाहर हो गया है, उसे केंद्र में प्रतिष्ठित करना है. सत्ता के घोड़ों की नकेल कसकर रखनी है, ताकि वे बेलगाम मनमानी दिशा में न भाग सकें.
- डॉ. सुभाष राय
(मुख्य संपादक : दैनिक जनसंदेश टाईम्स )
किसी भी आंदोलन या संस्कृति का जब जन्म होता है तो बहुत से प्रारंभिक वर्ष उसकी प्रवृत्तियाँ स्पष्ट होने में चले जाते हैं। वह एक बिंदु की तरह होता है। उसमें से एक राह निकलेगी और पंक्ति बनेगी तो वह किस दिशा में जाएगी यह कोई नहीं कह सकता। हिंदी ब्लागिंग या चिट्ठाकारिता अभी इस स्थिति से ज़रा सा ही आगे बढ़ी है। वह कदंब के फूल की तरह बिंदु से कई दिशाओं में फूट तो पड़ी है पर उसकी सुगंध जन जन में बसना बाकी है।
- पूर्णिमा वर्मन
( हिंदी पत्रिका अभिव्यक्ति/ अनुभूति की संपादक )
ब्लाग के बारे में अलग-अलग लोग अपने-अपने अनुसार धारणा बनाते हैं। पत्रकार इसे मीडिया के माध्यम के रूप में प्रचलित करना चाहते हैं और साहित्यिक रुचि के लोग इसका साहित्यिकीकरण करना चाहते हैं। मेरी समझ में ब्लाग अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। अब यह आप पर है कि आप इसका उपयोग कैसे करते हैं। लेख, कविता, कहानी, डायरी, फोटो, वीडियो, पॉडकास्ट और अन्य तमाम तरीकों से आप ब्लाग की सहायता से अपने को अभिव्यक्त कर सकते हैं।
अभिव्यक्ति के इसी सिलसिले में ब्लाग में कबाड़ से लेकर कंचन तक तक सब कुछ मौजूद है। अगर अस्सी फ़ीसदी कचरा है तो बीस फ़ीसदी कंचन भी मौजूद है। अब यह हम पर है कि हम यहां कंचन की मात्रा कैसे बढ़ाते हैं।
- अनूप शुक्ल
( फ़ुरसतिया के नाम से चर्चित हिंदी के प्रारंभिक ब्लॉगर )

- अखिलेश शुक्ल
(संपादक : कथा चक्र )
- डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
( सुप्रसिद्ध साहित्यकार और हिंदी के चर्चित ब्लॉगर )
आने वाले समय की चुनौतियों की बात करें तो हिंदी ब्लॉगिंग में विषयवार आधारित लेखन को लेकर ब्लॉगर्स को सजग होना होगा । ये इस लिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि जब हिंदी ब्लॉगिंग अपने आर्थिक पक्ष की ओर बढेगी तो फ़िर पाठक और उस ब्लॉग पर सामग्री की तलाश में आता हर कोई किसी न किसी खास विषय को तलाशता वहां पहुंचेगा । एक दूसरी महत्वपूर्ण बात जो अभी हिंदी ब्लॉगिंग में नहीं आ सकी है वो है ब्लॉगर का एक नागरिक पत्रकार की भूमिका में खुल कर नहीं आ पाना । हालांकि इसकी अपेक्षा शुरूआती दौर में ही करना उचित नहीं होगा लेकिन हिंदी ब्लॉगिंग अपने तेवरों में तीखापन और एक हद तक आम आदमी का ध्यान तभी खींच सकेगी जब वहां वो खबरें , वो बातें , वो जानकारियां साझा की जाएंगी जो कहीं अन्यत्र आना लगभग नामुमकिन सा है । विकीलीक्ज़ ने रास्ता दिखा ही दिया है कि अंतर्जाल की ताकत के साथ क्या और कितना किया जा सकता है । उम्मीद की जानी चाहिए कि हिंदी अंतर्जाल भी आने वाले कुछ वर्षों में ही सरकार , प्रशासन , मीडिया , साहित्य ..सभी क्षेत्रों में दखल देते हुए एक ऐसा बिंदु बन जाएगा जिसकी उपेक्षा करना आसान नहीं होगा ।
- अजय कुमार झा
( हिंदी ब्लॉगिंग के वेहद समर्पित ब्लॉगर)
................जारी है परिचर्चा मिलते हैं एक विराम के बाद